मुनीन्द्र नारदाग्स्तय मान्यायै जय मंगलम,
प्रणतार्ती निवारिन्ये पूर्णायै शुभ मंगलम ।
विविधोपनिषदै त्रिविध्यायै जय मंगलम,
शुद्ध-बुद्ध सदानन्द ब्रह्मणे शुभ मंगलम ।।
नतलोकेष्ट दायिन्यै नित्यायै नित्य मंगलम,
सर्वमंगल युक्तायै सत्यायै सर्व मंगलम ।
सर्व ब्रह्माण्ड संदोग्ये जनन्यै जय मंगलम,
शङ्करार्चितपादायै शिवाण्यै शुभमङ्गलम् ॥
श्रीचक्रपुरवासिन्यै श्रीमात्रै जय मंगलम,
श्री महात्रिपुरसुन्दर्यै शिवायै शुभ मंगलम ।
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