स्तुति

 
बारम्बार कही,सुनी ना चित्त दे,सूता कहाँ नींद मे, क्या थे काम लग्या भुवन मे, क्या थे लग्या ध्यान मे, क्या थोंरी मर्जी, हमे है गरजी, बाला ज़रा ध्यान दो, सुनलो चित्त लगाय अब तो, कीजे भलो भक्त को ||


देवी दुर्गे, उमा, विश्व जननी रमा, मात तारा, एक बाला त्रिपुरी का सहारा हैं हजारो ही अपराध मेरे, हूँ अधम पातकी तो भी तेरे, चरण कमलों मैं माँ रहता मस्तक नवां ये हमारा, एक बाला त्रिपुरी का सहारा दुष्ट होवें यदा, तो भी माँ को सदा पुत्र प्यारा, एक बाला त्रिपुर का सहारा, एक जगदम्बा तेरा सहारा ! जय माँ

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